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मंगलवार, 23 अक्तूबर 2018

On अक्तूबर 23, 2018 by Kathak Krazzy   No comments


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नागरीय मण्डयाली नृत्य
मण्डयाली नृत्य मण्डी जनपद का
महिला प्रधान लोक नृत्य है। इसे नागरीय लोक नृत्य, लुड्डी, गिद्धा आदि विभिन्न नामों से भी जाना जाता है। इस नृत्य का प्रचलन हिमाचल प्रदेश के मण्डी और सुन्दर नगर जनपद में अधिकतर है। दूसरे राज्यों के ग्रामीण जनपद के नृत्यों की छाप एक दूसरे पर होते हुए भी इस नृत्य की अपनी अलगे पहचान है, क्योंकि इसमें ग्रामीण जनपद की आत्मा, हास-परिहास, व्यंग्य और लोक परम्परा का मिश्रण रहता है। इस नृत्य में केवल महिलायें ही भाग लेती है। मण्डयाली गीतों की स्वर लहरियों पर थिरकती खूबसूरत, नव-यौवनाओं का लोक नृत्य नागरियता का परिष्कृत स्वरूप है। इस नृत्य में महिलाएॅं परम्परागत वेशभूषा में नृत्य करती है। इसके गानों तथा नृत्य, पदचाप में एक लयबद्धता यानि उपशास्त्रीय और लय-ताल का अनूठा समावेश है। इसमें हर गीत के साथ नर्तकियों का हाव-भाव और भंगिमाएॅं बदलती रहती है और इसे लोक नृत्य का सुधरा हुआ रूप तथा मंचीय प्रस्तुति के लिए आदर्श माना जाता है। इस नृत्य में नवयौवनाओं की उमंग भरी भावनाओं का उल्लास देखने को मिलता है। यह नृत्य घर में हो रहे किसी भी उत्सव जैसे-विवाह-शादी की सालगिरह, जन्मदिन, विविध संस्कार, उत्सव या कोई भी खुशी के मौके पर किया जाता है।

शनिवार, 15 सितंबर 2018

On सितंबर 15, 2018 by Kathak Krazzy   No comments


Hi. I am Santosh Sawriya Am Create a Blog

सोमवार, 27 अगस्त 2018

On अगस्त 27, 2018 by Kathak Krazzy   No comments

    
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शुक्रवार, 17 अगस्त 2018



अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी और उपलब्धियां



     
     अटल बिहारी वाजपेयी की जीवन उपलब्धियों से भरा पड़ा है फिर भी हमारी कोशिश रहेगी की उनके जीवन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण घटना और पहलू को आपके सामने रखे

         25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में जन्मे वाजपेयी का छात्र जीवन से ही राजनीतिक गतिविधियों में गहरा रुझान रहा| पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी कवि होने के साथ-साथ अध्यापक थे, माँ कृष्णा देवी घरेलू महिला थी| अटलजी शुरू से ही पढ़ाई में काफी तेज थे|

अटल बिहारी वाजपेयी जीवन परिचय
 नाम -      अटल बिहारी वाजपेयी
पिता -      कृष्णा बिहारी वाजपेयी
माता -      कृष्णा देवी
जन्म -      25 दिसंबर 1924 (ग्वालियर राज्य, ब्रिटिश भारत (अब मध्य प्रदेश, भारत में)
निधन -     16 अगस्त 2018 (93 वर्ष की आयु) नई दिल्ली भारत
राजनीतिक दल -भारतीय जनता पार्टी (1980-2018)
Hobby -     लेखक, राजनेता, कवि
पुरस्कार  -    भारत रत्न 2015, पद्म विभूषण 1992
पत्नी      -     अविवाहित थे
अटल जी की प्रमुख रचनायें
उनकी कुछ प्रमुख प्रकाशित रचनाएँ इस प्रकार हैं :
·         मृत्यु या हत्या
·         अमर बलिदान (लोक सभा में अटल जी के वक्तव्यों का संग्रह)
·         कैदी कविराय की कुण्डलियाँ
·         संसद में तीन दशक
·         अमर आग है
·         कुछ लेख: कुछ भाषण
·         सेक्युलर वाद
·         राजनीति की रपटीली राहें
·         बिन्दु बिन्दु विचार, इत्यादि।


पुरस्कार
·         १९९२पद्म विभूषण
·         १९९३: डी लिट (कानपुर विश्वविद्यालय)
·         १९९४लोकमान्य तिलक पुरस्कार
·         १९९४: श्रेष्ठ सासंद पुरस्कार
·         १९९४: भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार
·         २०१५ : डी लिट (मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय)
·         २०१५ : 'फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवॉर्ड', (बांग्लादेश सरकार द्वारा प्रदत्त)
·         २०१५ : भारतरत्न से सम्मानित

अटल जी की टिप्पणियाँ
चाहे प्रधान मन्त्री के पद पर रहे हों या नेता प्रतिपक्ष; बेशक देश की बात हो या क्रान्तिकारियों की, या फिर उनकी अपनी ही कविताओं की; नपी-तुली और बेवाक टिप्पणी करने में अटल जी कभी नहीं चूके। यहाँ पर उनकी कुछ टिप्पणियाँ दी जा रही हैं।
·         "भारत को लेकर मेरी एक दृष्टि है- ऐसा भारत जो भूख, भय, निरक्षरता और अभाव से मुक्त हो।"
·         "क्रान्तिकारियों के साथ हमने न्याय नहीं किया, देशवासी महान क्रान्तिकारियों को भूल रहे हैं, आजादी के बाद अहिंसा के अतिरेक के कारण यह सब हुआ।"
·         "मेरी कविता जंग का ऐलान है, पराजय की प्रस्तावना नहीं। वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य-निनाद नहीं, जूझते योद्धा का जय-संकल्प है। वह निराशा का स्वर नहीं, आत्मविश्वास का जयघोष हैI

     श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय से राजनीति का पाठ पढ़ने वाले अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनसंघ के सक्रिय सदस्य रहे| भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे| 1968 से 1973 तक इसके अध्यक्ष का पदभार संभाला, वह पहली बार 1957 में जनसंघ के टिकट पर बलरामपुर से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए I
     तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पहली बार संसद में बोलते हुए वाजपेयी को सुना और कहा कि इस लड़की की जीभा पर सरस्वती विराजमान है| वाजपेयी में देश का भविष्य देखते हुए उन्हें देश के प्रधानमंत्री बनने की क्षमता होने का ऐलान किया और ऐसा हुआ भी वाजपेयी ने एक बार नहीं 3 बार प्रधानमंत्री के रूप में भारत की सेवा की|
     राजनीति को नया मोड़ देने वाले वाजपेयी 10 बार लोकसभा सदस्य और दो बार राज्यसभा सदस्य चुने गए| पहली बार 1957 में बलरामपुर से लोकसभा सदस्य चुने गए| मोरारजी देसाई की सरकार में 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहने का मौका मिला|

अटल बिहारी वाजपेयी का राजनीतिक
·         सफ़र स्कूल और कॉलेज की शिक्षा ग्वालियर से हुआ|
·         राजनीतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर किये|
·          वकालत की पढ़ाई कानपुर विश्वविद्यालय से हुआ|
·         भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भागीदारी रही|
·         राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य, स्वदेश और वीर-अर्जुन पत्रिका के संपादक रहे|
·         बचपन में ही राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से जुड़े रहे|
·         भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य में से थे|
·         1968 से 1973 तक जनसंघ के अध्यक्ष बने|
·         1957 में बलरामपुर से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए|
·         1957 में पहली बार सांसद बने|
·         1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहे|

·         विदेश मंत्री के तौर पर संयुक्त राष्ट्र में संबोधन दिए और पहली बार यूएन में हिंदी में भाषण दिया।
      इस पद पर रहते हुए उन्होंने पूरी दुनिया में भारत की बातों को मजबूती से रखा| कुशल वक्ता के रूप में वाजपेयी का जादू संयुक्त राष्ट्र के सर चढ़कर बोला| विदेश मंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी पहले व्यक्ति थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को हिंदी में संबोधित किया और भारत का मान पूरी दुनिया में बढ़ाया|
                1980 में जनता पार्टी के टूटने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने लालकृष्ण आडवाणी और कुछ सहयोगियों के साथ मिलकर BJP की नींव रखी है और निर्विरोध पार्टी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने|
                यह वाजपेयी के व्यक्तित्व और करिश्माई नेतृत्व का नतीजा ही था कि 1984 के लोकसभा चुनाव में 2 सीट पर जीत दर्ज करने वाली पार्टी ने 1989 के चुनाव में पचासी सीट जीतकर भारतीय लोकतंत्र में बीजेपी की दमदार उपस्थिति दर्ज कराई|
                 वाजपेयी और देश दोनों के लिए 1996 का समय इतिहास में दर्ज हो गया, जब पहली बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी| इसके बाद वाजपेयी पहली बार देश के प्रधानमंत्री पद पर काबिज हुए, यह अलग बात है कि सरकार को सत्ता में 13 दिन ही रहने का मौका मिला|
                1998 में देश की जनता ने एक बार फिर बीजेपी और वाजपेयी पर भरोसा जताया और अटल बिहारी वाजपेयी एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री बने| उनके नेतृत्व में और बीजेपी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए ने केंद्र में सरकार बनाई, यह सरकार 13 महीने तक चली|
                अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री के तौर पर 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा करने का मौका तेरहवी लोकसभा चुनाव के बाद मिला| वाजपेयी 1999 से 2004 तक देश के प्रधानमंत्री रहे और केंद्र में पहली बार किसी गैर कांग्रेसी सरकार ने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया|
                करीब 7 दशक तक देश की राजनीति में दमदार भूमिका निभाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी ने लगातार अस्वस्थ रहने के कारण साल 2009 में सक्रिय राजनीति से संयास ले लिया| अटल बिहारी वाजपेयी को 2015 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया| अटल बिहारी वाजपेयी का संपूर्ण राजनीतिक जीवन बेदाग और साफ सुथरा रहा|
                 वाजपेयी ने हर जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी से निभाया, कोमल हृदय के धनी वाजपेयी ने हर मौके पर राजनीतिक मजबूती का परिचय दिया| चाहे देश का मुद्दा हो या विदेशी सरकार से संबंधित मामला| हर बार बड़ी ही बेबाकी अपनी राय रखी| अपनी इन्हीं विशेषताओं की वजह से सभी दलों और समुदाय से उन्हें भरपूर सम्मान मिला|
                तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत की घरेलू और विदेश नीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई| इससे पहले विदेश मंत्री संसद की तमाम महत्वपूर्ण स्थाई समितियों के अध्यक्ष और यहां तक कि विपक्ष के नेता के रूप में उनका अनुभव उनके प्रधानमंत्री काल में काम आया और उन्होंने देश को आगे बढ़ाने में अभूतपूर्व भूमिका निभाई| उनके कार्यकाल में देश ने कई चुनौतियों का सिर्फ मुकाबला किया बल्कि उन पर विजय पाने में भी कामयाबी हासिल की|

अटल बिहारी वाजपेयी की उपलब्धियां

Ø कावेरी जल विवाद को सुलझाने का अभूतपूर्ण प्रयास|
Ø बुनियादी संरचनात्मक ढाँचे के लिए कार्यदल|
Ø सॉफ्टवेयर विकास के लिए सूचना एवं प्रौद्योगिकी कार्यदल|
Ø केन्द्रीय बिजली नियंत्रण आयोग की स्थापना|
Ø राष्ट्रीय राजमार्गों का विस्तार की स्थापना|
Ø स्वर्णिम चतुर्भुज योजना की स्थापना|
Ø हवाई अड्डों का विकास
Ø नई टेलीकॉम नीति
Ø कोंकण रेलवे की शुरुआत
Ø राष्ट्रीय सुरक्षा समिति आर्थिक सलाहकार समिति
Ø व्यापार एवं उद्योग समिति ग्रामीण रोजगार सृजन
Ø भारतीय मूल के लोगों के लिए बीमा योजना

     अटल बिहारी वाजपेयी एक जन नेता थे, सड़क से लेकर संसद तक उनकी बातें और उनके विचार सुनने को आम आदमी से लेकर बड़े से बड़ा नेता उत्सुक रहता| कहा जाता है कि उनकी भाषण कला से प्रभावित होकर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कह दिया था कि अटल एक दिन देश के प्रधानमंत्री भी बनेंगे| पंडित नेहरु की भविष्यवाणी सच साबित हुई| लेकिन यह सफ़र इतना आसान नहीं था, अटल बिहारी वाजपेयी ने बीजेपी को सत्ता तक पहुंचाने में कड़ी मेहनत की, जनता पार्टी के बनाने में उनका बहुत बड़ा योगदान है| बीजेपी ने 1984 के चुनाव में जहां में 2 सीटें जीती थी, वहीं बीजेपी ने 1996 में सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया|
            1998 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 182 सीटें जीती या अटल बिहारी वाजपेयी की व्यक्तिगत छवि और करिश्मा ही था जो 1996 में उनका साथ नहीं देने वाले दल भी इस बार उनके समर्थन में गए और इस बार अटल जी के नेतृत्व में 13 महीने के लिए एक बार फिर बीजेपी केंद्र में सत्ता पर काबिज हुई|
            लेकिन यह सरकार भी गिर गई 1999 में ही लोकसभा के चुनाव में बीजेपी ने 182 सीटें जीत गए अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एक बार फिर सरकार बनाई इस सरकार में सिर्फ अटल बिहारी वाजपेयी बल्कि पूरी बीजेपी को पहले से कहीं मजबूत पार्टी बना दिया और इस सरकार ने देश को एक नई दिशा देने में कामयाबी हासिल की|
             प्रधानमंत्री ने देश के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं लेकिन हर बार अटल जी ने देश को मुश्किलों से उबारने में कामयाबी हासिल की ,वाजपेयी जी ने हमेशा एक मजबूत भारत का सपना देखा था वह चाहते थे कि भारत के शांतिप्रिय होने का कोई विरोध नाजायज फायदा ना उठाएं| इसलिए उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए 18 मई 1998 राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण के साथ ही भारत परमाणु शक्ति संपन्न देशों की कतार में शामिल करवा दिया| अटल जी के नेतृत्व में 11 और 13 मई 1998 को दो भूमिगत परमाणु विस्फोट हुए यह विश्व पटल पर एक नए और मजबूत भारत का उदय था|
            परमाणु शक्ति संपन्न देशों की संभावित नाराजगी से विचलित हुए बिना वाजपेयी जी ने अग्नि सीरीज के और परीक्षण कर देश की सुरक्षा के लिए दृढ़ कदम आगे बढ़ाएं, उन्होंने साफ कर दिया कि वह अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते नीतियां नहीं बनाते, उन्होंने कहा कि खतरा आने से पहले ही उसकी तैयारी होनी चाहिए|
            अटल बिहारी वाजपेयी अक्सर कहते थे कि दोस्त बदले जा सकते हैं लेकिन पडोसी नहीं, वह हमेशा भारत के पड़ोसी देशों से अच्छे संबंधों की वकालत करते थे लेकिन सुरक्षा की कीमत पर नहीं, कुछ इसी सोच के साथ उन्होंने पाकिस्तान के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाया| वाजपेयी ने पहली बार सीधी बस सेवा 20 फरवरी 1999 शुरू कि और खुद भाईचारे का संदेश लेकर लाहौर गये लेकिन पाकिस्तान को हमेशा की तरह भारत के भाईचारे का संदेश समझ नहीं आया| इधर अटल बिहारी वाजपेयी दोस्ती की इबारत लिख रहे थे| उधर पाकिस्तान कारगिल युद्ध की तैयारी पूरी कर चुका था|
            लाइन ऑफ कंट्रोल के पास में आतंकियों के भेष में पाकिस्तानी सेना ने भारतीय चौकियों पर कब्जा कर चुकी थी लेकिन जैसे ही भारत को इसकी भनक हुई, हमारे जांबाज सैनिकों के शौर्य और साहस ने पाकिस्तान को एक बार फिर मुंह तोड़ जवाब दिया और कारगिल में विजय पताका लहरा दिया| जिस संयम और दृढ़ता से उन्होंने कारगिल संकट का सामना किया, उसने उन्हें दुनिया के शीर्ष राजनेताओं में शुमार कर दिया| उन्होंने देश के नागरिकों की सुरक्षा के लिए कंधार अपहरण मामले को भी जिम्मेदारी से निभाया|
            वाजपेयी जी ने इसके बाद भी अपने नेतृत्व कुशलता से सिर्फ विदेश नीति में बल्कि घरेलू नीतियों में भी कई सुधार किए| उनके कार्यकाल में ही प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की शुरुआत हुई इन सब कामों की बदौलत भारतीय राजनीति के सर्वाधिक लोकप्रिय व्यक्तियों में से एक हो गए विपक्ष में रहे तो देश को एक जिम्मेदार विपक्ष का आभास होता रहा और जब देश की कमान उनके हाथ में भारत की अधिकांश जनता महसूस करती रही कि वह वाजपेयी जी के जिम्मेदार हाथों में पूरी तरह से सुरक्षित है|
            पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एक राजनेता के तौर पर जितने प्यार किये गए उतना ही प्यार उनकी कविताओं को भी मिला| उनकी कविताएं उनके व्यक्तित्व की पहचान ही नहीं बल्कि उनके जीवन को देखने का एक नजरिया भी प्रस्तुत करती है| अपनी कविताओं के जरिए उन्होंने देश के बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक में जोश, प्यार देशभक्ति और संवेदना का संचार किया उनकी कविता संग्रहमेरी इक्यावन कविताएंके नाम से प्रकाशित हुई जिससे साहित्य प्रेमियों और युवाओं ने काफी लोकप्रिय बना दिया|

       अटल जी आज हमारे बीच में नहीं रहे, लेकिन उनकी प्रेरणा, उनका मार्गदर्शन, हर भारतीय को हमेशा मिलता रहेगा। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके हर स्नेही को ये दुःख सहन करने की शक्ति दे। ओम शांति !